आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहे है वह सुनकर आपको यह विशवास हो जाएगा की जो मनुष्य पूरी लगन से मेहनत करता है और जिस इंसान में हौसला होता है वह कभी असफल नहीं हो सकता है |
आज हम आपके लिए जो कहानी लेकर आये है वह कहानी है दिव्यांग श्री कांत की | श्री कान्त का जन्म हैदराबाद में हुआ था | श्री कान्त बचपन से ही अंधे थे | लेकिन आज उन्होंने ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसे हासिल करना हर किसी की बात नहीं | आज उनका हैदराबाद और तेलंगाना में 150 करोड़ का बिज़नेस है |
श्री कान्त के पिताजी काफी गरीब व्यक्ति थे | वे 1500 रूपये महीने में काम किया करते थे | इसलिए श्री कान्त का बचपन काफी गरीबी में गुजरा था | बचपन में ही कई लोगो ने श्री कान्त के पिताजी को उसे मारने की सलाह दी थी | लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया | 1500 रूपये कमाने वाले व्यक्ति ने श्री कान्त को पाल पोसकर बड़ा किया | श्री कान्त ने दिव्यांग स्कूल में 10वि तक की पढ़ाई की |
लेकिन जब वे आगे पढने के लिए साइंस विषय लेना चाहते थे तो उनके अंधेपन ने उनका साथ नहीं दिया | लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे पढ़ाई की और अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्था से बिज़नेस का कोर्स किया | इसके बाद जब वे अमेरिका से अपनी पढ़ाई पूरी करके स्वदेश लौटे तो उन्होंने खुद का ही बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया |
शुरुआत में अपने आसपास के 8 बेरोजगार लोग जिनमें से कुछ ब्लाइंड थे | उनके साथ कंपनी की शुरुआत की। श्री कान्त ज्यादातर उन्ही लोगो को काम देते है जो दिव्यांग है | शुरू में फंडिंग की समस्या काफी हो रही थी | लेकिन श्री कान्त के सपनो के आगे ये समस्या ज्यादा देर टिक नहीं सकी | उन्होंने बैंक से लोन लेकर अपना बिज़नेस शुरू किया | कंपनी में स्टाफ की मेहनत और श्री कान्त के जज्बे से श्री कान्त अपनी गरीबी को पछाड़ते हुए काफी आगे निकल गाये |
इस समय श्री कान्त "कंजूमर फूड पैकेजिंग बोलेट इंडस्ट्रीज’' के सीईओ है और आज उनकी कंपनी के 7 प्लांट में 12 सौ से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। श्री कान्त की कंपनी में एक साल में लगभग 150 करोड़ रूपये का टर्न ओवर होता है |