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संसार में क्यों नहीं की जाती है ब्रह्मा जी की पूजा | जानिए इस रहस्य को...

Jan 16 2019

Posted By:  Sandeep

हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्माण्ड के प्रमुख तीन देवता है | जिन्हे ब्रह्मा विष्णु और महेश कहा जाता है | ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता, विष्णु को संसार का पालनकर्ता और भगवान शिव को मृत्यु का देवता कहा जाता है | पुरे भारत में शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जहाँ भगवान शिव और ब्रह्मा जी का मंदिर ना बना हुआ हो और जिनमे पूजा ना की जाती हो | लेकिन हम यह देखते है की ब्रह्मदेव को सृष्टि का निर्माणकर्ता कहने पर भी उनकी पूजा नहीं की जाती है | आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाने जा रहे है |


ऐसा कहा जाता है की एक बार ब्रह्मदेव ने सृष्टि पर एक महान यज्ञ करने का विचार किया | इसके लिए उन्हें एक उपयुक्त स्थान की आवश्यकता थी | इसलिए उन्होंने अपने कमल को धरती पर जगह खोजने का आदेश दिया | यह कमल राजस्थान के अजमेर जिले में आकर गिरा | जहाँ कमल गिरा था वही ब्रह्मा जी को यज्ञ करना था | उन्होंने तुरंत देवलोक में यह घोषणा कर दी की पृथ्वीलोक में होने वाले यज्ञ में सभी देव उपस्थित हो | 

यह कहकर ब्रह्म देव पृथ्वीलोक पर आ गये | शुभमुहूर्त पर यज्ञ शुरू होने वाला था | सभी देव-दानव वहां उपस्थित हो गए | लेकिन सावित्री जी वहां उपस्थित नहीं हुई | यज्ञ के नियमो के मुताबिक कोई यज्ञ तभी हो सकता है जब पति-पत्नी दोनों उसमे आहुति देवे | लेकिन सावित्री जी को यज्ञ में उपस्थित ना देखकर ब्रह्मा जी को भय लगा की कहीं यह शुभ मुहूर्त टल ना जावे | 



इसलिए ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री जी को प्रकट किया और उनसे तुरंत विवाह किया | विवाह होने के बाद ब्रह्मा जी गायत्री जी के साथ यज्ञ में बैठ गये | जब यज्ञ शुरू हुआ तो इसके कुछ ही समय बाद सावित्री जी वहां आ गयी | जब उन्होंने ब्रह्मा जी के साथ गायत्री जी को देखा तो वह क्रोधित हो गयी | उसे कुछ भी नहीं सूझा और ब्रह्मा जी को उन्होंने श्राप दे दिया |

सावित्री जी ने कहा:- आपने जिस संसार के कल्याण के लिए मेरा त्याग किया है | वही संसार आपको नहीं पूजेगा | सभी देवताओ ने माता सावित्री से कहा की हे माते ! आप अपना श्राप वापस ले लीजिए | लेकिन सावित्री जी के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं हुआ | इसके बाद वह रुष्ट होकर एक पहाड़ी में जाकर तपस्या करने लगी | इस पहाड़ी को वर्तमान में रत्नागिरी की पहाड़ी के नाम से जाना जाता है | जिस पर राजस्थान का तीसरा रोप-वे चलाया गया है | 


जबकि इस क्षेत्र को पुष्कर के नाम से जाना जाता है | यहाँ पूरे विश्व का एकमात्र ब्रह्मा जी का प्राचीन मंदिर स्थित है | यह राजस्थान का ऐसा तीर्थस्थल है जहाँ सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक आते है | इस तीर्थ स्थल को तीर्थो का मामा भी कहा जाता है | यदि कोई पत्नी सावित्री मंदिर में जाकर पूजा करती है तो ऐसी मान्यता है की उसके पति की आयु में वृद्धि होती है |  
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