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क्यों भगवान विष्णु शेषनाग पर करते है विश्राम ? जानिए वजह...

Jan 17 2019

Posted By:  Sandeep

विष्णु पुराण के अनुसार जिसके नेत्र कमल की पंखुड़ियों के समान है, जिसके चारो ओर क्षीर सागर है, जिसके सम्मुख माता लक्ष्मी विराजमान रहती है वही विष्णु है | भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता कहे जाते है | भगवान शिव और ब्रह्मा जी भी उनकी महिमा का गुणगान करते है | विष्णुपुराण के अनुसार तो ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से जबकि शिव जी की उत्पत्ति विष्णु के दिव्यतेज से बताई जाती है | यदि सीधे शब्दों में कहा जाये तो विष्णु जी ही इस ब्रह्माण्ड के असली पिता है | हम अक्सर देखते है की भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम करते है | लेकिन कई लोग इसकी वजह नहीं जानते है | आखिर क्यों भगवान विष्णु शेषनाग पर आराम करते है ? आज हम इसके पीछे की कहानी आपको बताने जा रहे है |


ऐसा कहा जाता है की ब्रह्माण्ड के नियमो के मुताबिक विष्णु जी को इस संसार का सञ्चालन करना होता है | इन्ही की इच्छा से नवग्रह चलायमान होते है | इन सभी कार्यो को करने के लिए ऊर्जा एकत्रित करनी पड़ती है | यह ऊर्जा किसी विश्राम गृह के बिस्तर पर नहीं की जा सकती है | इसलिए भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम करते है |

दूसरा कारण पुराणों में बताया गया है | पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु इस रूप में समय का मार्गदर्शन करते है | इसके अतिरिक्त इस अवस्था में वह नवग्रह और तीनो लोको के सीधे संपर्क में रहते है और बढ़ रहे अत्याचार का अंत करते है | इसलिए भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम करते है | जबकि दंतकथाओं में कहा गया है की भगवान विष्णु के 8वे अवतार कृष्ण के समय शेषनाग ने उन्हें यमुना नदी में भारी वर्षा से बचाया था | इसलिए शेषनाग भगवान विष्णु के साथ एक रक्षक के रूप में रहते है |



हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओ की अपनी एक सवारी होती है | माता दुर्गा शेर पर, गणेश जी मूषक पर, माता गंगा मगरमच्छ पर, माता लक्ष्मी उल्लू पर, भगवान शिव नंदी पर और देवराज इंद्रा अपने हाथी ऐरावत की सवारी की करते है | हिन्दू देवी-देवताओ के द्वारा की जाने वाली सवारी के पीछे एक अलग ही गाथा छिपी हुई है | जिसका वर्णन हमे शास्त्रों में मिलता है |


कुछ दंतकथा में यह भी कहा गया है की एक समय भगवान विष्णु की शेषनाग ने घोर तपस्या की थी | जिसमे उन्होंने यह वरदान माँगा था की वह उनको हर समय उनके साथ रखे | इसलिए भगवान नारायण के साथ हमेशा शेषनाग रहते है | इस बात पर अधिकांशतः लोगो ने विश्वास किया है | क्योंकि विष्णु जी ने राम रूप और कृष्ण रूप में उन्हें अपने साथ रखा है | लेकिन किसी विशेष ग्रन्थ में इस बात का प्रमाण ना मिलने से यह तथ्य एक दंतकथा ही बनकर रह गया है | जिसकी सत्यता पर विश्वास करने में शंका है |
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