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विश्वकप में भारत की जीत का ये हीरो आज भैंस चराने को है मजबूर, इतनी बुरी हो गई है हालत..जानिए

Feb 24 2019

Posted By:  Anil

भारत में मैच के करोड़ों दीवाने है, भारत में करोड़ों की संख्या में लोग मैच का लुत्फ़ उठाते है | हर बार क्रिकेट मैच में कोई न कोई नया चेहरा देखने को मिल ही जाता है | इन नए चेहरों ने कभी अपनी बैटिंग तो कभी अपनी बॉलिंग से लोगों को इम्प्रेस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है | क्रिकेट एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां नए-नए खिलाड़ियों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है |


लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो अच्छा परफॉर्म करने के बावजूद आज एक गुमनामी की जिंदगी जी रहे है | आज हम एक ऐसे ही खिलाड़ी की बात करने जा रहे है | 1998 के वर्ल्ड कप में "भालाजी डामोर" नाम का एक स्टार खिलाड़ी उभरकर सामने आया था |



भालाजी डामोर 1998 में खेले गए दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) विश्व कप में भारतीय टीम के हीरो थे | लेकिन अभी वह ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जिसके बारे में जानकर आपको यकीन नहीं होगा | आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि वर्तमान में भालाजी पशु चराने को मजबूर है | आज वह अपना गुजर बसर करने के लिए भैंस चराते है, भालाजी एक ऑलराउंडर खिलाड़ी थे और साल 1998 में अपने बेहतरीन परफॉरमेंस के चलते भारतीय टीम को सेमी फाइनल तक पहुंचाने में सफल हुए थे |


भालाजी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और विश्वकप में अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा | लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, इस विश्व कप को बीते 19 साल बीत गए हैं और 19 साल के बाद आज भी भालाजी की स्थति वैसी की वैसी बनी हुई है | वह आज भी आर्थिक तंगी के साथ जीने को मजबूर हैं. इतने शानदार प्रदर्शन के बाद भी उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली | भालाजी आज भी भैंस चराने व खेती से जुड़े छोटे-मोटे काम करने को मजबूर है |


बता दें भालाजी गुजरात के ऑलराउंडर खिलाड़ी है, और उनके नाम भारत की ओर से सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड भी दर्ज है | बात दें कि भालाजी अब तक अपने 125 मैचों में 3125 रन बना चुके हैं और 150 विकेट भी चटका चुके है | आपको जानकर हैरानी होगी कि भालाजी पूरी तरह से दृष्टिबाधित हैं और भारत की तरफ से कुल 8 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके है | अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी मदद करेगी और उन्हें नौकरी मिल जाएगी, जिससे वह अपने परिवार का गुजारा कर सकेंगे | लेकिन इतने साल बाद भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली | आज भी स्थिति वैसी ही है जैसे पहले थी, उनका स्पोर्ट कोटा और विकलांग कोटा भी उनके कुछ काम नहीं आ सका |
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