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7 साल की उम्र में खेलते वक्त पाकिस्तान सीमा में चला गया मासूम, 34 साल से बेटे को देखने के लिए तरस गए मां बाप..

Apr 30 2019

Posted By:  AMIT

भारत के कई लोगों को पाकिस्तान की जेलों में उम्र कैद की सजा हुई है, जिनमें से कुछ को तो छुड़ा लिया गया लेकिन कुछ मर चुके हैं और कुछ अभी भी उन जेलों में कैद हैं | पाकिस्तान की सीमा को जो भी क्रॉस करते है उसे भारतीय जासूस बनाकर जेल में कैद कर लिया जाता हैं | ऐसा ही कुछ वाक्या अमृतसर जिलें के परिवार के साथ हुआ जिनके घर का बेटा 34 सालों से पाकिस्तान की कोट लखपत की एक जेल में बंद हैं | अपने बेटे की राह देखते-देखते उनके परिवार के लोगों की आंखें आज भी उनको घर लाने के लिए तरस गयी है, उस आदमी का कसूर बस इतना था की वह बचपन में खेल-खेल में बॉर्डर पर चला गया था



अमृतसर के अजनाला सेक्टर में रावी नदी के सटे हुए एक गांव बेदी छन्ना के रतन सिंह बताते है कि साल 1985 में जब परिवार खेतों में गया था | तो उनका 7 साल का बच्चा नानक सिंह खेलते हुए पाकिस्तान की सीमा पार कर चला गया, इसके बाद जब हमने पाकिस्तानी रेंजर्स से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने लौटने से इंकार कर दिया था | इसके बाद नानक के पिता ने थाना रमदास में सुचना दी गई तो उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से उनकी कुछ भैंसे लौटने के बदले नानक सिंह को भेजने की बात कहीं गई थी | लेकिन यह परिवार न तो भैंसे ढूढ़ पाया और न ही नई भैंसे खरीद पाने में सक्षम था, इसलिए इनका बेटा काफी वापस ही नहीं आया और बूढ़े मां-बाप अपने बेटे का इंतजार करते रह गए | 


भिखीविंड के सरबजीत सिंह के साथ भी नानक सिंह का मामला उठा था, लेकिन गरीबी और अशिक्षा दोनों इनकी कोशिशों के आगे दीवार बनकर खड़ी रही इसलिए ये मामला सुर्खियों में नहीं आया |परिवार के द्वारा ऐसा बताया जाता है कि साल 1990-91 में पाकिस्तान की जेलों में बंद लोगों की सूचित किया गया कि नानक सिंह भी पाक की कोट लखपत जेल में कैद हैं | इस सूचि के मुताबिक, नानक सिंह के पिता का नाम, पता सहित कई जानकारीया वैसी की वैसी बताई गई थी लेकिन नाम बदल दिया नानक सिंह की जगह ककड़ सिंह बताया गया था | एक संस्था ने रिहाई की कोशिश के बीच वहां के एक वकील को भी किया लेकिन नाम बदला होने के कारण कुछ नहीं हो सका, उनके परिवार के मुताबिक उनके बेटे का नाम बदल दिया जैसे सरबजीत का बदल दिया था |

पिता रतन सिंह और मां प्यारी देवी की एक ही ख्वाहिस है कि मरने से पहले वे अपने बेटे को जी बरकर देखना चाहते हैं | गांववालों के अनुसार समझ नहीं आता नानक सिंह को किस बात की सजा दी जा रही हैं, जब वह खेलते वक्त गया तो उसकी उम्र मात्र 7 साल थी अब 7 का बच्चा आंतकवादी तो हो नहीं सकता | परिवार ने भारत सरकार को भी इस बारे में सुचना दी लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई | 
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