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नाई की दुकान पर काम करती है बहनें, दूसरी और लिंग संबंधी रूढ़ियों पर सवाल खड़े करता जिलेट का नया ऐड..

May 01 2019

Posted By:  AMIT

भारत में इस साल जनवरी में जिलेट (ब्लेड कम्पनी) का एक ऐड आया जिसने मर्दानगी के बारे में पहले से मौजूद धारणाओं को चुनौती दी | इस जिलेट कम्पनी के ऐड ने लिंग समानता की स्थिति पर सवाल खड़े किए और ' लड़के तो लड़के रहेंगे ' जैसे जहरीलें विज्ञापनों को खत्म करने कोशिश की थी | जिलेट कम्पनी का यह ऐड (विज्ञापन) इंटरनेट पर वायरल हो गया और इसने कई विवाद खड़े कर दिए |


अब जिलेट कम्पनी को एक नया ऐड आया है, जो रोजगार व नौकरी में लिंग सबंधी रूढ़ियों (पुरानी परम्पराओं) पर सवाल खड़े कर रहा हैं | जिलेट (ब्लेड कम्पनी) ने 26 अप्रैल को अपने यूट्यूब पेज पर एक नया विज्ञापन(ऐड) पोस्ट किया है, इस ऐड में 2 लड़कियों के बारे में बताया गया है जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बनवारी टोला में नाई की दुकान पर काम करती हैं | अगर आप इस गांव बनवारी टोला को गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको बस इन दोनों लड़कियों की नाई दुकान में काम करते वक्त की फोटो दिखाएगा | इस गांव की ये लड़कियां ऐसे पेशे को अपनाकर ' लिंग संबंधी रूढ़ियों ' को चुनौती देती नजर आ रही है, जिस काम को सामान्य तौर पर महिलाओं के लिए नहीं माना जाता हैं | 

इस कम्पनी के विज्ञापन की शुरूवात एक छोटे से बच्चें से होती है जो हमारा ध्यान इस दुकान की और खींचता है, कि कुछ काम महिलाओं के लिए नहीं बने हैं | इस वीडियो में पुराने समय से चले आ रहे महिलाओं और पुरुषों के अलग-अलग कामों को दिखाया गया है, पुराने समय में मसलन पुरुष कुश्ती करते है और व्यापार पर उन्हें अपना हक़ मिलता हैं | तो वहीं महिलाओं की जिम्मेदारी पानी लाना और घर का चूल्हा-चौका करने जैसे काम थे | इसके बाद जिलेट कम्पनी का यह वीडियो एक नाई की दुकान, जिसे दो बहनें चला रही है, के जरिए इस सोच को चुनौती देने की कोशिश करता हैं | 


दुकान में नाई का काम कर रही लड़की को देखकर बच्चा अपने पिता से पूछता है- बापू ये लड़की होकर उस्तरा चलाएगी ? इस पिता कुछ सोचते हुए जवाब देते है- अरे बेटा उस्तरें को क्या पता चलाने वाला लड़का है या लड़की | इस वीडियो की सबसे खास बात है कि नाई की दुकान में जिन लड़कियों को दिखाया गया है, ये वहीं दोनों लड़कियां है जिनकी कहानी पर ये विज्ञापन बनाया गया हैं | ये दोनों लड़कियां उस वक्त किशोर थी जब पिता के बीमार पड़ने पर उन्हें दुकान संभालनी पड़ी | शुरूवात में दोनों लड़कियों ने लड़को जैसा पहनावा रखा, लेकिन धीरे-धीरे गांव के लोगों ने उन्हें स्वीकार कर लिया | इसी साल जनवरी में सरकार द्वारा दोनों बहनों को ' बाधाओं से जूझने के लिए ' पुरस्कार से सम्मानित भी किया |  
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