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यहां शनि को तेल चढ़ाने के बाद गले भी लगाते है लोग, रामायण काल से जुड़ा है मंदिर का रहस्य..

Jun 26 2019

Posted By:  AMIT

शास्त्रों में बताया गया है कि ग्रहों में शनिदेव को कर्मों का फल देना वाला ग्रह माना गया है | शनिदेव एकमात्र ऐसे देव है जिनकी पूजा लोग डर की वजह से करते हैं | लेकिन ऐसा नहीं है शनि देव न्‍याय के देवता है जो इंसान को उसके कर्म के हिसाब से फल देते हैं | अक्सर हम देखते है कि शनिवार के दिन शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है और सरसों के तेल का ही दीपक भी जलाया जाता है | तेल और शनि के बीच क्‍या संबंध है? ऐसा क्‍यों है कि शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता है? शनिदेव को तेल चढ़ाने के पीछे दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं | जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे- 


आइए जानें शनिदेव को तेल चढ़ाने का कारण और इसकी कथा की विशेषता 


पहली कथा का संबंध है रावण
हमारे ग्रंथो के मुताबिक शनिदेव को तेल चढ़ाने के लिए यह पौराणिक कथा काफी प्रचलित है | माना जाता है कि रावण अपने अहंकार में चूर था और उसने अपने बल से सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था | शनिदेव को भी उसने बंदीग्रह में उलटा लटका दिया था | उसी समय हनुमानजी प्रभु राम के दूत बनकर लंका गए हुए थे | रावण ने अहंकार में आकर हनुमाजी की पूंछ में आग लगवा दी थी |


और रावण की इसी बात से क्रोधित होकर हनुमानजी ने पूरी लंका जला दी थी | लंका जल गई और सारे ग्रह आजाद हो गए लेकिन उल्‍टा लटका होने के कारण शनि के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी और वह दर्द से कराह रहे थे | शनि के दर्द को शांत करने के लिए हुनमानजी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की थी और शनि को दर्द से मुक्‍त किया था | उसी समय शनि ने कहा था कि जो भी व्‍यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्‍याओं से मुक्ति मिलेगी | तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई थी |


दूसरी कथा के अनुसार शनिदेव और हनुमानजी में हुआ था युद्ध
इस कथा के अनुसार एक बार शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया था | लेकिन उस काल में भगवान हनुमान के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी | जब शनि देव को भगवान हनुमान के बारे में पता चला तो वह भगवान हनुमान से युद्ध करने के लिए निकल पड़े | जब भगवान शनि हनुमानजी के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान हनुमान एक शांत स्थान पर अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे है |




शनिदेव ने उन्हें देखते ही युद्ध के लिए ललकारा | जब भगवान हनुमान ने शनिदेव की युद्ध की ललकार सुनी तो वह शनिदेव को समझाने पहुंचे | लेकिन शनिदेव ने एक बात न मानी और युद्ध के लिए अड़ गए | इसके बाद भगवान हनुमान और शनिदेव के बीच घमासान युद्ध हुआ | युद्ध में शनिदेव भगवान हनुमान से बुरी तरह हारकर घायल हो गए, जिसके कारण उनके शरीर में पीड़ा होने लगी | इसके बाद भगवान ने शनिदेव को तेल लगाने के लिए दिया, जिससे उनका पूरा दर्द गायब हो गया | इसी कारण शनिदेव ने कहा कि जो मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा | मैं उसकी सभी पीड़ा हर लूंगा और सभी मनोकामनाएं पूरी करूंगा | और इसके बाद से ही शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई और शनिवार का दिन शनिदेव का दिन होता है और इस दिन शनिदेव पर तेल चढ़ाने से जल्द आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है |
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