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3 जुलाई से शुरु हो रही है गुप्त नवरात्री, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा और महत्व के बारे में..

Jun 27 2019

Posted By:  AMIT

हमारे शास्त्रों के मुताबिक आम तौर पर हम यही जानते है कि साल में नवरात्र के दो त्योहार होते हैं | हालांकि, ऐसा नहीं है, क्योंकि धर्मग्रंथों और हिंदू मान्यताओं में 4 नवरात्र का जिक्र किया गया है | शारदीय और चैत्र नवरात्र से हम सभी वाकिफ है लेकिन दो अन्य नवरात्र भी है जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा गया है | पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में होता है | 


गुप्त नवरात्र को तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना और महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है | वैसे, आम जन भी अगर चाहें तो इस मौके पर मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं | गुप्त नवरात्र के दौरान मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है |


गुप्त नवरात्र से जुड़ी पौराणिक कथा
इस कथा के अनुसार एक बार ऋषि श्रंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे | इसी दौरान भीड़ से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि के सामने आई और अपनी समस्या बताने लगी | स्त्री ने कहा कि उनके पति दुर्व्यसनों से घिरे है और इसलिए वह किसी भी प्रकार का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती | स्त्री ने साथ ही कहा कि वह मां दुर्गा के शरण में जाना चाहती है | लेकिन पति के पापाचार के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है |



यह सुन ऋषि ने बताया कि शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो हर कोई मां दुर्गा की पूजा करता है और इससे सब परिचित भी है | लेकिन इसके अलावा भी दो और नवरात्र हैं | ऋषि ने बताया कि दो गुप्त नवरात्र में 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है | ऋषि ने स्त्री से कहा कि इसे करने से सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा | ऐसा सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में ऋषि के अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की | मां दुर्गा इस श्रद्धा और भक्ति से हुईं और इसका असर ये हुआ कि कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ | साथ ही स्त्री का घर भी खुशियों से भर गया |


गुप्त नवरात्र की पूजाविधि 
हमारे शास्त्र के अनुसार शारदीय और चैत्र नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र में कलश स्थापना की जाती है | नौ दिन तक व्रत का संकल्प लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की अराधना इस दौरान की जाती है | साथ ही अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत की समाप्ति होती है | तंत्र साधना करने वाले इस दौरान माता के 10 महाविद्याओं की साधना करते हैं |


गुप्त नवरात्र के दौरान दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशी का पाठ करें और साथ ही लाल रंग का पुष्प माता को चढ़ाएं | ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करते समय इस बारे में किसी और नहीं बताना चाहिए और मन से मां दुर्गा की अराधना में तल्लीन रहना चाहिए | मान्यता है कि ऐसा करने से पूजा ज्यादा सफल होती है |
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