भारत में कई हिस्से हैं जहां पर मेंढक और मेंढकी की शादी करवाई जाती है | देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां बारिश न होने पर मेढक और मेंढकी की शादी करवाई जाती है | इसी कड़ी में मध्य प्रदेश का छतरपुर इलाका भी ऐसी ही श्रेणी में आता है | बारिश ना होने के कारण यहां की महिला बाल विकास मंत्री ललिता यादव ने मेढ़क और मेढ़की की शादी का आयोजन करवाया है |
लोगों का मानना है कि मेढक की शादी करवाने से बारिश जल्द होती है | आज हम आपको बताते हैं क्या है इस शादी की मान्यता और इससे जुडी मेढक-मेढकी की कहानी |
पूर्वोत्तर के राज्यों असम और त्रिपुरा से निकल कर आई यह मेढक की शादी की परम्परा कई लोगों को जहां अच्मभे में डालती है, वहीं कुछ लोग इसे देखना भी चाहते हैं |
असम के लोग मेंढक-मेंढकी का विवाह कराते हैं | वास्तव में असम के लोगों की मान्यता है कि इस प्रकार के विवाह कराने से अच्छी बारिश होती है | माना जाता है कि जब किसान बरसात के देवता यानी इंद्र भगवान से बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं तब इंद्र कहते हैं कि जब तक तुम्हारे स्थान के मेंढक बरसात को नहीं कहेंगे, उस समय तक बरसात नहीं कराई जा सकती हैं | यही कारण है कि असम में मेढ़क की शादी करवाई जाती है ताकि सही समय पर बारिश हो और सारी फसलें सही तरह से उगे |
मेढ़क की शादी है तो इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं कि बस यूं ही शादी को कर दिया जाता है बल्कि पूरी तैयारी के साथ शादी को करवाया जाता है | विवाह में शादी के सभी रीति-रिवाजों को पूरा किया जाता है | शादी को करने के बाद में मेंढक-मेंढकी के नव विवाहित जोड़े को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है और प्रवाहित करते समय महिलाएं मंगल गीत भी गाती हैं | इस मेंढक-मेंढकी की शादी में बच्चे, बूढ़े तथा जवान सभी लोग शामिल होते हैं तथा इस प्रकार की शादी का खर्चा भी सभी ग्रामीण लोग मिलकर करते है |