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जानिए : आखिर कैसे बना एक डाकू महर्षि वाल्मीकि और लिखा विश्व का पहला महाकाव्य

Oct 23 2018

Posted By:  Sandeep Verma

महर्षि वाल्मीकि जयंती इस बार 24 Oct. को मनाई गयी | महर्षि वाल्मीकि पुरे भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पहले ऐसे कवि है जिन्होंने पहले महाकाव्य की रचना की | इन्होंने ये रचना संस्कृत भाषा में की थी | महर्षि वाल्मीकि को कई विद्वानों ने ब्रह्मा जी का मानस पुत्र बताया है |

भगवान राम के समकालीन महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ था | बचपन का नाम रत्नाकर था | ऐसा कहा जाता है की इनका पालन पोषण एक भील जाती में हुआ था | इन्होंने भील परम्परा का अनुसरण किया और डाकू बन गए | किवंदतियों के अनुसार नारद मुनि के मार्गदर्शन से इन्होंने साधु जीवन अपनाया | 


कई वर्षो बाद घोर तपस्या कर डाकू रत्नाकर से वाल्मीकि का नाम महर्षि वाल्मीकि पड़ा | कहते है की वाल्मीकि जी को रामायण लिखने की प्रेरणा स्वयं ब्रह्मा जी द्वारा दी गयी है | इन्होंने रामायण को 7 भाग में विभाजित कर लिखा जिसे रामायण काण्ड कहा जाता है | इनके बीच-बीच में छंदो का भी प्रयोग किया गया है | लगभग इसमें 20000 श्लोको का प्रयोग किया गया है |


रामायण की रचना कई व्यक्तियों ने की जिसमे महर्षि काम्ब ने कम्ब रामायण कन्नड़ में और सबसे प्रमुख महर्षि तुलसीदास द्वारा रामचरित मानस की रचना की गयी | तुलसीदास जी ने राम चरित मानस को अवधि ( सामान्य भाषा ) भाषा में लिखा है | रामचरित मानस को इसलिए भी अधिक प्रसिद्धि मिली क्योंकि यह मुग़ल काल (अकबर) के समकालीन ग्रन्थ है |


रामचरित मानस की रचना के समय बहुत विवाद हुआ था | क्योंकि यह पहली रामायण थी | जिसकी रचना देव भाषा संस्कृत में न होकर अवधि एक सामान्य भाषा के रूप में हुई | उस समय लोगो का कहना था की ये देव भाषा संस्कृत का अपमान है | इतना श्रेष्ठ ग्रन्थ होते हुए भी इसकी तुलना महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पुस्तक द्वारा नहीं की जा सकती है | 

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