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जब एक कुत्ते ने माँगा था भगवान राम से न्याय | जानिए...

Dec 23 2018

Posted By:  Sandeep

भगवान श्री राम को मर्यादा पुरषोत्तम और न्यायप्रिय राजा के रूप में जाना जाता है | उनके लिए कहा जाता है की यदि कोई पशु पक्षी भी उनके द्वार पर आ जाता तो वे उसके साथ भी न्याय करते थे | ऐसी ही एक घटना उस समय सामने आई जब एक कुत्ता भगवान श्री राम से न्याय मांगने आया |  


कर्क रेखा और विंध्याचल पर्वत श्रेणी भारत को दो भागो में विभाजित करती है | जिसे उत्तरी भारत और दक्षिणी भारत कहा जाता है | उत्तरी भारत में एक कलिंजरा नाम का मठ हुआ करता था | जहाँ एक धर्म गुरु बैठता था | जिसके मार्गदर्शन में जनता स्वयं को सुरक्षित महसूस करती थी |

रामायण के समय की बात है | भगवान राम अयोध्या में बैठे न्याय कर रहे थे | जब वे सभी लोगो का न्याय कर चुके थे तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा की:- बन्धु ! बाहर देखकर आओ, कोई शेष तो नहीं है | इसके पश्चात् लक्ष्मण ने देखा की एक कुत्ता बाहर बैठा हुआ है | लक्षण उसे ही अंदर लेकर आ गए | 

भगवान राम ने कुत्ते से पूछा की:- तुम्हारे पुरे शरीर पर घाव लगे हुए है | यह सब किसने किया | उसे कठोर दंड दिया जाएगा | कुत्ते ने कहा की एक भिखारी ने उसे बिना किसी कारण बहुत मारा है | श्री राम ने भिखारी को प्रस्तुत करने का आदेश दिया | जब भिखारी राजा राम के सामने आया तो भगवान राम ने कहा की जो यह कुत्ता कह रहा है, क्या वह सत्य है ? क्या तुम अपना जुर्म कबूल करते हो |


भिखारी ने कहा की, यह सत्य है लेकिन मैं काफी भूखा था | मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था | इसलिए मैने इस कुत्ते को मारा | राजा राम काफी सोच में पड़ गये | उन्हें समझ में नहीं आ रहा था की कुत्ते के साथ क्या न्याय किया जाये | क्योंकि वे जानते थे की यह एक गंभीर मसला है | इसलिए उन्होंने कुत्ते से ही पूछा की तुम्हारे अनुसार इस भिखारी को क्या दंड मिलना चाहिए |

उनका यह जवाब सुनकर सभा के मंत्रीगणों ने कहा, राजन आप यह क्या कर रहे है | भगवान राम ने उन्हें शांत रहने के लिए कहा | कुत्ते ने भिखारी को सजा सुनाई की इसे कालिंजर मठ का धर्मगुरु बना दिया जाये | इसके बाद मंत्रीगण खुद को रोक नहीं सके | उन्होंने फिर राजा से प्रश्न किया किया की यह कैसी सजा है | इसके लिए प्रभु राम ने कहा की आप स्वयं कुत्ते से पूछ लीजिए | कुत्ते ने फिर पूरी घटना बताई |

कुत्ते ने कहा की मैं पिछले जन्म में कलिंजरा का धर्मगुरु हुआ करता था | यह एक बहुत बड़ा पद होता है | इसलिए मुझे घमंड आ गया था | मैंने खुद को नियंत्रण करने की कोशिश की | लेकिन मैं खुद को ऐसा करने से नहीं रोक सकता था | कुछ ही दिनों ने मेरे घमंड के कारण लोगो का मेरे प्रति सम्मान कम हो गया |


मैंने देखा की कुछ ही दिनों में मैं पूरी तरह से नष्ट हो गया हूँ | मुझे समाज से भी काफी बदनामी झेलनी पड़ी | जो मेरे लिए जीते जी किसी मृत्यु से कम नहीं था | इस समय भिखारी क्रोध में है | इसलिए धर्मगुरु बनने के बाद यह भी अपना उसी तरह  विनाश कर लेगा | जिस तरह मैने किया था | 
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