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भारत के वो मंदिर, जहां पुरुष नहीं कर सकते प्रवेश, पूजा करने की है मनाही.. जानिए इनके पीछे का रहस्य...

Jun 28 2019

Posted By:  AMIT

भारत में कई ऐसी धार्मिक जगहें है, जहां महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है | उन्हें अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं | कि भारत में ऐसे मंदिर भी है जहां पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है | अगर है भी तो कुछ खास दिनों में ही और देश में 6 ऐसे मंदिर है जहां पुरुषों के आने पर रोक है | हालांकि इन मंदिरों में सबरीमला की तरह नियम नहीं है, लेकिन मान्यता यही कहती है कि पुरुषों को अंदर नहीं जाना चाहिए | कई जगहों पर पुरुष सिर्फ मंदिर के आंगन तक ही जाते है मूर्ती के पास तक नहीं |


संतोषी माता मंदिर (जोधपुर, राजस्थान)
वैसे तो संतोषी माता का मंदिर और व्रत दोनों ही महिलाओं के लिए है, लेकिन पुरुष भी इस मंदिर में जाते हैं | जोधपुर में विशाल मंदिर है जो पौराणिक मान्यता रखता है | हालांकि संतोषी माता की पूजा की अगर ऐतिहासिक कहानी देखी जाए तो ये 1960 के दशक में ही ज्यादा लोकप्रिय हुई, उसके पहले नहीं | संतोषी माता के मंदिर में शुक्रवार को महिलाओं को खास पूजा करने की इजाजत है और महिलाएं ही इस व्रत को रखती हैं | व्रत कथाओं में संतोषी माता की भक्त सत्यवती की कहानी कही जाती है | शुक्रवार को यहां पुरुषों के जाने की मनाही है | हालांकि ये मनाही सिर्फ एक दिन की ही है, लेकिन फिर भी इसे जरूरी माना जाता है | 


माता मंदिर (मुजफ्फरपुर, बिहार)
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक ऐसा देवी का मंदिर है | जहां पुरुषों का आना एक सीमित समय के लिए वर्जित होता है | इस मंदिर के नियम इतने कड़े है कि यहां पुरुष पुजारी भी इस दौरान नहीं आ सकता और सिर्फ महिलाएं ही यहां पूजा करती हैं |


चक्कुलाथुकावु मंदिर (नीरात्तुपुरम, केरल)
यहां हर साल पोंगल के अवसर पर नवंबर-दिसंबर में नारी पूजा होती है | इस पूजा में पुरुष पुजारी महिलाओं के पैर धोते हैं | उस दिन को धानु कहा जाता है | इस दिन पुजारी पुरुष भी मंदिर के अंदर नहीं जा सकते | पोंगल के समय 15 दिन पहले से ही यहां महिलाओं का हुजूम दिखने लगता है | महिलाएं अपने साथ चावल, गुड़ और नारियल लेकर आती है ताकि पोंगल बनाया जा सके और प्रसाद के तौर पर दिया जा सके | ये मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है | 




ब्रह्म देव मंदिर (पुष्कर, राजस्थान)
पूरे भारत में ब्रह्मा का एक ही मंदिर है और वो है पुष्कर में | ये मंदिर ऐतिहासिक मान्यता रखता है और यहां कोई भी ऐसा पुरुष जिसकी शादी हो गई हो वो नहीं आ सकता | मान्यता है कि वैवाहिक जीवन शुरू कर चुके पुरुष अगर यहां आएंगे तो उनके जीवन में दुख आ जाएगा | पुरुष मंदिर के आंगन तक जाते है, लेकिन अंदर पूजा सिर्फ महिलाएं करती हैं |


कोट्टनकुलंगरा / भगवती देवी मंदिर (कन्याकुमारी, तमिलनाडु)
यह मंदिर कन्याकुमारी में स्थित है और यहां मां भगवती या आदि शक्ति की पूजा होती है, जो दुर्गा का रूप मानी गई हैं | इस मंदिर में पुरुषों का आना मना है | यहां भी पूजा करने के लिए सिर्फ स्त्रियां ही आती हैं | किन्नरों को भी इस मंदिर में पूजा करने की आजादी है, लेकिन अगर पुरुष यहां आना चाहें तो उन्हें पूरी तरह से सोलह श्रंगार करना होगा |


कामरूप कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम)
कामरूप कामाख्या मंदिर, असम में स्थित यह मंदिर केवल महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है | केवल महिला पुजारी या संन्यासी मंदिर की सेवा करते हैं | यहां मां सती के मासिक धर्म को बहुत शुभ माना जाता है और भक्तों को वितरित किया जाता है | ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र के साथ मां सती को काट दिया था जिसके कारण उनकी कमर उस स्थान पर गिर गया, जहां मंदिर बनाया गया था |

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