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दीपक जलाते समय एक बार जरूर करे इस मंत्र का जाप, जीवन में धन की कमी होगी दूर बनेगे नये योग, जानिए

Aug 11 2019

Posted By:  Sunny

हिन्दू धर्म में दीपक का विशेष महत्व है, हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य में, पूजा पाठ में दीपक जरूर जलाया जाता है, दीपक का जलना सकारात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए घरो में जब सुबह और शाम को आरती की जाती है तो दीपक जरूर जलाया जाता है, दीपक जलाने से घर में वातावरण शुद्ध होता है, शास्त्रों में किसी भी पूजा का सफल का होना तभी माना गया है, जब पूजा में दीपक भी जलाया जाये, बिना दीपक प्रज्वल्लित किये हर शुभ कार्य अधूरा ही माना जाता है, इसीलिए आज हम आपको दीपक से जुडी कुछ बाते बताने जा रहे है जिन्हे आप अपने जीवन में जरूर अपनाये |

इस दिशा में हो दीपक




पूजा पाठ में या जब भी अपने घर में दीपक जलाये तो इस बात का ध्यान रखे की दीपक की लौ पूर्व और उत्तर दिशा की और ही हो, इस दिशा में दीपक का होना बहुत ही शुभ माना गया है, इससे घर में धन धान्य की कमी दूर होती है |

ऐसा हो दीपक


जब भी पूजन में दीपक का प्रज्वलन करे तो इस बात का ध्यान रखे की दीपक मिट्टी का हो क्योंकि मिट्टी के दीपक को ही सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखे की दीपक एकदम सही होना चाहिए कहीं से टुटा फूटा नहीं होना चाहिए, और दीपक को पानी में साफ़ करने के पश्चात ही पूजन में इस्तेमाल करे |

एक बार ही हो इस्तेमाल


किसी भी दीपक का इस्तेमाल केवल एक बार ही करना चाहिए, एक बार जब दीपक पूजा में इस्तेमाल कर लिया जाये तो इसे फिर पानी में या किसी पेड़ के नीचे रख देना चाहिए, कई लोग एक ही दीपक का इस्तेमाल कई बार करते है इसे सही नहीं माना गया है, इसीलिए ऐसे प्रयोग से बचे |



घी और तेल के उपयोग की वजह
कई बार लोग दीपक जलाते समय घी या तेल का इस्तेमाल करते है, लेकिन कई बार उन्हें इनके इस्तेमाल की वजह नहीं पता होती है, दीपक में घी का इस्तेमाल मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है और वही तेल का इस्तेमाल जीवन में चल रहे कष्टों और मुसीबतो के निवारण में किया जाता है |

करे इस मंत्र का जाप 


घर में जब भी आप दीपक जलाये तो इस मंत्र का जाप अवश्य करे इस मंत्र के जाप से आपके जीवन में खुशहाली आएगी, धन धान्य की पूर्ति होगी,  सुख शांति का प्रसार होगा, शत्रुओ का नाश होगा, इसीलिए किसी भी पूजा पाठ में इस मंत्र का जाप अवश्य करे |
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
 दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
 शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां। 
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।
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