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इसी कारण भगवान श्री कृष्ण बने 2 बार किन्नर...जानिए

Aug 22 2019

Posted By:  Sanjay

हिन्दू धर्म मैं भगवान श्री कृष्ण की बहुत मान्यता है | भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तो के दिलो मैं रहते है भगवान श्री कृष्ण ने अपने भक्तो को सही मार्ग दिखलाने के लिए बहुत सारी लीलाये की | भगवान श्री कृष्ण जब तक धरती पर मानव शरीर मैं रहे उन्होंने बहुत सारी मनमोहक लीलाये की | भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओ से संसार को हंसना सिखाया, प्रेम करना सिखाया, प्रेम का सही मतलब सिखाया | संसार मैं चल रहे छल, प्रपंच और असत्य को सही तरह से संसार को अपनी लीलाओं के माध्यम से समझाया है | भगवान श्री कृष्ण ने संसार को सन्देश देने के लिए बहुत सारी लीलाये की उन लीलाओ मैं भगवान श्री कृष्ण 2 बार किन्नर भी बने | एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने प्रेम की मज़बूरी मैं किन्नार बने तो दूसरी बार धर्म के लिए उन्हें किन्नर बनना पड़ा | आइये जानते है भगवान श्री कृष्ण के किन्नर बनने की पूर्ण वजह...


1 . प्रेम की खातिर बनना पड़ा किन्नर 


एक बार भगवान श्री कृष्ण और राधा जी मैं झगड़ा हो गया और देवी राधा भगवान श्री कृष्ण से नाराज होकर बैठ गयी | देवी राधा जी की सखियों ने उन्हें समझाने का बहुत प्रयास किया मगर राधा जी नहीं मानी और भगवान श्री कृष्ण राधा जी से मिलने को तड़प रहे थे वो उनसे मिलना चाहते थे मगर मिल नहीं पा रहे थे | ऐसे मैं भगवान श्री कृष्ण ने सखियों के कहने पर किन्नर का रुप बना लिया और नाम रखा श्यामरी सखी | भगवान श्री कृष्ण श्यामरी सखी के रूप मैं एक हाथ मैं वीणा लेकर उसे बजाते हुए राधा के घर की तरफ आये तो राधा उस वीणा की ध्वनि सुनकर मंत्रमुग्ध हो गयी और घर से बाहर आ गयी और श्यामरी सखी के अद्भुत रूप को देखती रह गयी और राधा ने प्रसन्न होकर अपने गले का हार उन्हें भेंट करना चाहा मगर भगवान श्री कृष्ण ने कहा मुझे देना है तो अपने मानरूप रत्न दे दो मुझे ये हार नहीं चाहिए | राधा जी समझ गयी की ये श्यामरी सखी कोई और नहीं है ये तो श्री कृष्ण है | राधा का गुस्सा समाप्त हो गया और राधा और श्री कृष्ण का मिलन हो गया |



2 . धर्म की खातिर बनना पड़ा किन्नर 


महाभारत का युद्ध चल रहा था और पांडवो की जीत के लिए माता चंडी को प्रसन्न करना बहुत जरुरी था | माता चंडी को प्रसन्न करने ले लिए किसी राजकुमार की बलि देनी थी | ऐसे मैं अर्जुन के पुत्र इरावन ने कहा की वो अपनी बलि देने के लिए तैयार है मगर वो एक रात के लिए किसी स्त्री से विवाह करना चाहता है ये शर्त रख दी | 


अब एक रात के लिए किसी वर से कोई स्त्री कैसे विवाह कर सकती है इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने किन्नर का रूप रखा और इरावन से विवाह कर लिया | अगले दिन इरावन की बलि दे दी गयी | आजके समय मैं भी किन्नर बड़ी संख्या मैं तमिलनाडु के "कोथांदवर मंदिर" मैं इस परंपरा को निभाया जाता है | किन्नर अपने देवता इरावन से विवाह करके अगले दिन विधवा बन जाते है |
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