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माता का चमत्कारी मंदिर, इस मंदिर पर माथा टेकने से ही दूर हो जाती है परेशानियां, पूर्ण होती है सभी मनोकामनाएं...

Oct 08 2019

Posted By:  Sanjay

हमारा देश एक धार्मिक देश है और हमारे देश मैं सभी धर्मो के लोग निवास करते है | हमारे देश मैं सबसे ज्यादा हिन्दू धर्म के लोग निवास करते है | हमारे देश मैं बहुत से देवी और देवताओं के ऐसे मंदिर है जिनकी कुछ न कुछ खासियत होती है और लोग अपनी आस्था लेकर उस मंदिर मैं जाते है और भगवान भी उनकी हर मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करते है |


आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारें में बताने जा रहे है यदि आप उस मंदिर के दर पर अपनी मनोकामनाएं लेकर जाते है और अपना माथा टेकते है तो माता रानी आपकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करेगी | उस मंदिर का नाम है कुष्मांडा माता का मंदिर जो की सागर कानपुर के बीच घाटमपुर मैं स्थित है | इस मंदिर मैं माँ कुष्मांडा लेटी हुई अवस्था मैं विराजमान है | इस मंदिर में माँ कुष्मांडा के पिंड स्वरुप से लगातार पानी रिसता रहता है | ऐसी मान्यता है की जो भी व्यक्ति इस पानी का सेवन कर लेता है उसके कई प्रकार के रोग समाप्त हो जाते है | 



अगर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाये तो जब इस संसार मैं कुछ भी नहीं था तब माँ कुष्मांडा ने अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना की थी | इसलिए उनको सृष्टि की आदि शक्ति स्वरूपा माना गया है | 


कुष्मांडा माता मंदिर के बारें मैं ऐसा कहा जाता है की यहाँ पर जो भी मुर्तिया है वो १० वी शताब्दी के मध्य की मूर्तिया है | ये मंदिर मराठा शैली से बना हुआ है | एक पौराणिक कथा के अनुसार कुड़हा नामक ग्वाले की गाय अपना दूध रोजाना झाड़ियों गिरा देती थी एक दिन कुड़हा ने देख लिया और वहाँ खुदाई करने लग गया तो वहाँ उसे एक मूर्ति दिखाई दी उसने काफी खुदाई की मगर उस मूर्ति का अंत उसको नजर नहीं आ रहा था तब उसने इसी जगह एक चबूतरे का निर्माण करवाया | ऐसा कहा जाता है की कुष्मांडा माता के वर्तमान मंदिर का निर्माण सन 1890 मैं चंदीदीन भुर्जी ने करवाया था | इस मंदिर मैं जो अखंड जोत जल रही है वो सन 1988 से जल रही है | 


इस मंदिर के बारे मैं ऐसा कहा जाता की जो भी सूर्यौदय से पहले स्नान कर 6 महीने तक माँ कुष्मांडा के रिसते जल का इस्तेमाल करता है उसकी हर प्रकार की बीमारी नष्ट हो जाती है | माँ कुष्मांडा मंदिर के परिसर मैं दो तालाब है जिनमे हमेशा पानी भरा रहता है चाहे वो मौसम कोई सा भी हो | जो भी भक्त माँ कुष्मांडा के मंदिर मैं दर्शन करने के लिए आते है वो एक तालाब से स्नान करने के बाद दूसरे तालाब तालाब से पानी लेकर माता को चढ़ाते है | जो भी भक्त  माँ कुष्मांडा के दरवार मैं सच्चे मन से माथा टेकते है माँ कुष्मांडा उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी करती है |
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