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आखिर क्यों सांपो की जीभ दो भागो में कटी होती है, इस ग्रंथ में छिपा है राज, जानिए

Dec 24 2019

Posted By:  Sunny

जब भी सांपो की बात आती है तो कई लोगो के शरीर में डर की वजह से सिहरन दौड़ जाती है | सांपो को जहरीला जीव माना जाता है, लेकिन सांप कुछ प्रजातियां ऐसी भी होती है, जिनमे जहर नहीं होता है | आपने सांप को जब भी देखा होगा तो एक बात पर गौर किया होगा की सांप कि जीभ दो भागो में कटी हुयी होती है | क्या आप इसके पीछे की वजह जानते है | इसके पीछे की वजह हमारे प्राचीन ग्रन्थ महाभारत की एक कथा में छिपी है, तो आइये जानते है, क्या कहती है ये कथा | 




वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत के अनुसार महर्षि कश्यप की 13 पत्नियाँ थी, जिनमे से एक का नाम कद्रू था | बताया जाता है कि कद्रू ही सांपो की जननी है, सभी सांप कद्रू की संतान है | महर्षि कद्रू की एक दूसरी पत्नी का नाम विनीता था, पक्षीराज गरुड़ विनीता के ही पुत्र थे |


कथा कुछ इस प्रकार है एक बार कद्रू और विनीता ने एक घोडा देखा घोड़े को देखकर कद्रू ने कहा इस घोड़े की पुंछ काली है और विनीता कहने लगी घोड़े की पुंछ सफ़ेद है | इस बात पर दोनों पर शर्त लग गयी और शर्त के अनुसार हारने वाले को दासी बनना पड़ेगा |

इसके बाद शर्त जीतने के लिए कद्रू ने अपने सर्प पुत्रो से कहा कि वह अपना आकर छोटा करके घोड़े की पूंछ से लिपट जाये ताकि घोड़े की पूंछ काली दिखाई दे और वह शर्त जीत जाये | लेकिन कद्रू के नाग पुत्रो ने ऐसा करने से मना कर दिया, इस बात से नाराज होकर कद्रू ने अपने पुत्रो को श्राप दिया कि वह सभी राजा जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जायेंगे | इस श्राप से भयभीत होकर नाग पुत्र अपनी माता के कहे अनुसार घोड़े की पूंछ से लिपट गए और उनकी माता शर्त जीत गयी |


कद्रू के शर्त जीतने से विनता को कद्रू की दासी बनना पड़ा और जब ये बात पक्षीराज गरुड़ को पता चली तो उन्होंने नाग पुत्रो से कहा कि वह क्या करे जिससे उनकी माता दासता से मुक्त हो जाए | तब  नागपुत्रो ने कहा कि यदि तुम हमे स्वर्ग से अमृत लेकर दोगे, तो तुम्हारी माता हमारी माता के दासत्व से मुक्त हो जाएगी |



इसके बाद पक्षीराज स्वर्ग से अमृत ले आये और नाग पुत्रो से कहा कि वह अमृत पीने से पहले स्नान कर ले | इसके बाद पक्षीराज ने अमृत कलश एक कुशा पर रख दिया | जब नाग पुत्र स्नान करने गए, तभी वहां देवराज इंद्रा आये और अमृत कलश फिर से स्वर्ग ले गए |


जब नाग पुत्र स्नान करके वापस आये तो उन्हें वहां कलश नहीं दिखा तो वो उस कुशा को ही चाटने लग गए जहाँ कलश रखा गया था | उन्हें लगा कि कलश को रखने से वहां अमृत का कुछ अंश जरूर गिरा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था | इससे उन्हें अमृत की प्राप्ति तो नहीं हुयी परन्तु उनकी जीभ कटकर दो भागो में विभाजित हो गयी |
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