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क्या आप जानते है? गणेश जी के स्त्री रूप विनायकी की बारे में, तंत्र साधना में भी होता है इनका....

Jan 21 2020

Posted By:  Sunny

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के प्रारम्भ से पहले गणेश जी की पूजा का बहुत महत्व है | विवाह हो, व्यापार की शुरुआत हो, गृह निर्माण हो चाहे कोई भी शुभ कार्य हो | सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, शास्त्रों में भी गणेश जी को प्रथम पूज्य बताया गया है, और कार्यो में आने वाले विघ्नो को हरने वाला बताया गया है | गणेश जी को कई नामो से जाना जाता है, जैसे गणनायक, गणपति, लम्बोदर आदि, लेकिन क्या आप जानते है? गणेश जी का एक स्त्री रूप भी है | जिस प्रकार शिव, भगवान विष्णु व अन्य देवताओ के स्त्री रूप है, उसी प्रकार गणेश जी का भी स्त्री रूप है | जिसे स्त्री गणेश या विनायकी के नाम से जाना जाता है, आज हम आपको उन्ही के बारे में जानकारी देने जा रहे है | 
 



विनायकी की दन्त कथा 


प्राचीन दन्त कथाओ में बताया गया है कि एक बार अंधक राक्षस ने देवी देवताओ पर हमला किया, वह हर ओर अपना राज स्थापित करना चाहता था | इसके साथ ही वो माँ लक्ष्मी को अपनी पत्नी बनाना चाहता था | अपने इसी दुस्साहस से उसने माँ पार्वती को बंधी बना लिया | इसके बाद जब माँ पार्वती ने अपनी रक्षा के लिए भगवन शिव का आह्वान किया तो भगवान शिव ने प्रकट होकर अपने त्रिशूल से अंधक का वध कर दिया | 


परन्तु अंधक के वध से उसके खून की बुँदे जमीन पर गिरने लगी, उसके मायावी खून की जैसे जैसे बुँदे गिरती जा रही थी, वैसे वैसे वहां अंधका राक्षसी प्रकट होती जा रही थी | ऐसे में उन सभी का वध करना आसान नहीं था | ऐसे में माता पार्वती जानती थी की कोई भी दैवीय शक्ति स्त्री और पुरुष दोनों तत्वों से मिलकर बनी होती है | पुरुष स्वरूप मानसिक शक्ति को दर्शाता है, तथा स्त्री स्वरूप भौतिक व मूर्त शक्ति को दर्शाता है | इसीलिए माता पार्वती ने सभी देवताओ के स्त्री स्वरूप को अंधका के विनाश करने के लिए बुलाया | ताकि वे उसके खून को जमीन पर गिरने से रोक सके |



तब सभी देवताओं के स्त्री रूप जैसे इंद्रा के इन्द्राणी, ब्रह्मा की ब्राह्मणी, विष्णु की वैष्णवी सभी प्रकट हुए, बताया जाता है कि तब भगवन गणेश जी ने अपने स्त्री रूप को प्रकट किया था और अंधका के खून को जमीन पर गिरने से पहले पी लिया. तब भगवान शिव अंधका का वध कर पाए थे |

भ्रामक है तथ्य
गणेश जी के इस स्वरूप के तथ्य 16वीं शताब्दी में आने शुरू आये थे | इसके अलावा खुश विशेषज्ञों का मानना है कि यह गणेश जी का स्त्री स्वरूप नहीं बल्कि माता पार्वती की सहेली मालिनी है, क्योंकि उनकी उस सहेली का मुख भी गणेश जी के समान ही था | जानकारी के लिए बता दे पुराणों में मालिनी का जिक्र गणेश जी की आया के रूप मे किया गया है | वैसे बताया जाता है कि विनायकी की पूजा तंत्र विद्या में भी की जाती है, क्योंकि स्त्री को शक्ति की जननी माना जाता है | लम्बे समय से विनायकी का तंत्र मंत्र से पूजन होता आ रहा है |
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